जनवरी 2025 में प्रधानमंत्री निर्देश पर आठवें केंद्रीय वेतन आयोग (8th CPC) की घोषणा की गई, जिसका उद्देश्य केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन, भत्तों और सेवा-संबंधित लाभों की समीक्षा और सुधार करना है। हालांकि, अब तक इसके लिए Terms of Reference (ToR) का औपचारिक निर्धारण नहीं हुआ है, जिससे आगे की प्रक्रिया में देरी हो रही है।
Terms of Reference (ToR): महत्व और सुझाव
ToR का महत्व
ToR एक रूपरेखा प्रदान करता है जो आयोग को निर्धारित करता है कि किस क्षेत्र में उसे सलाह देनी है— उदाहरण के लिए वेतन संरचना, भत्ते, पेंशन, सेवानिवृत्ति लाभ, आदि। इसके बिना आयोग की औपचारिक पहचान नहीं बनती और वह सक्रिय नहीं हो सकता।
NC-JCM की प्रमुख सुझाव
NC-JCM (National Council – Joint Consultative Machinery) के स्टाफ साइड ने फरवरी 2025 में ToR का मसौदा सरकार को भेजा, जिसमें निम्नलिखित प्रमुख बिंदु शामिल थे:
- विस्तृत कवरेज: केंद्र सरकार (औद्योगिक और गैर-औद्योगिक), ऑल-इंडिया सर्विसेज, रक्षा एवं अर्धसैनिक बल, ग्रामीण डाक सेवक, संघ शासित प्रदेश कर्मचारियों, ऑडिट एवं सुप्रीम कोर्ट कर्मचारी, नियामक संस्थाओं (RBI को छोड़कर), स्वायत्त संस्थान—सभी शामिल होने चाहिए।
- नई वेतन संरचना लागू करने की प्रारंभिक तिथि: 1 जनवरी 2026 से।
- न्यूनतम जीवन-यापन वेतन: ‘तीन इकाइयों’ की जगह अब पांच इकाइयों पर आधारित होना चाहिए, जिसमें माता-पिता का ध्यान रखना भी शामिल है—यह एक नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी भी है (Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2022)।
- पे-लेवल का विलय: निम्न स्तरों—जैसे लेवल 1–2, 3–4, 5–6—का विलय, ताकि वेतन में रुकावट न आए और MACP (Modified Assured Career Progression) की व्यवस्था बेहतर हो सके।
- MACP सुधार: प्रोत्साहन प्रणाली में कम से कम तीन स्पष्ट पदोन्नति सुनिश्चित करना।
- अंतरिम राहत: कर्मचारियों और पेंशनरों को तुरंत राहत प्रदान करना।
- पेंशन सुधार: पेंशन की संमत राशि को 12 वर्ष बाद पुनर्स्थापित करना, और पांच साल में पेंशन की समीक्षा करने की समिति की सिफारिशें लागू करना।
शिव गोपाल मिश्रा (NC-JCM स्टाफ साइड सचिव) ने NDTV को बताया:
“हमें उम्मीद है कि ToR को सरकार इस माह (अगस्त 2025) तक मंजूरी दे देगी; लेकिन अभी सुनिश्चित नहीं किया जा सकता।”
उन्होंने यह भी कहा कि परिवार की संरचना में माता-पिता की भूमिका को नजरअंदाज करना उचित नहीं है।
पेंशनर संगठन (Bharat Pensioners Samaj) ने वित्त मंत्रालय एवं DoPT को 1 जून 2025 को पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि ToR और आयोग की अध्यक्षता/सदस्यों की नियुक्ति में विलंब पेंशनरों में असमंजस्य और मानसिक चिन्ता बढ़ा रहा है—इसलिए प्रक्रिया को तत्काल तेज करने की मांग की गई है।
सांसद भुवनेश्वर कलिता ने संसद में प्रश्न उठाया — क्या NC-JCM ने ToR के लिए सुझाव भेजे हैं, क्या सरकार ने सभी हितधारकों से विचार मांगे हैं और आयोग कब गठित होगा। सरकार ने पुष्टि की कि NC-JCM के सुझाव प्राप्त हो गए हैं और मंत्रालयों एवं राज्यों से इनपुट मांगे जा चुके हैं; आयोग के अध्यक्ष और सदस्य ToR के बाद ही नियुक्त होंगे।
वित्तीय प्रभाव, संभावित वेतन वृद्धि और समयरेखा
फिटमेंट फैक्टर
Kotak Institutional Equities के अनुसार, संभावित फिटमेंट फैक्टर ~1.8 हो सकता है, जिससे वास्तविक वेतन में लगभग 13% वृद्धि हो सकती है—जो अपेक्षा से कम है। दूसरी ओर, Ambit Capital यह अनुमान लगा रहा है कि यह फैक्टर 2.46 तक हो सकता है, जिससे 30-34% तक की वेतन वृद्धि संभव है, जो लगभग 1.1 करोड़ कर्मचारियों और पेंशनरों को लाभ पहुंचाएगा।
अनुमानित समयरेखा
सरकार की प्रारंभिक योजना थी कि 1 जनवरी 2026 से नए वेतन लागू हों।
लेकिन यदि पिछले 7वें आयोग का पैटर्न देखा जाए—जिसमें घोषणा से कार्यान्वयन तक लगभग 44 महीने लगे—तो यह संभव है कि 8वें आयोग की सिफारिशें 2027–2028 के आसपास ही लागू हों।
निष्कर्ष
आठवें वेतन आयोग की प्रक्रिया में ToR की अंतिम रूपरेखा का निर्धारण एक निर्णायक कदम है। NC-JCM ने ठोस सुझाव दिए हैं, जिनमें व्यापक कर्मचारी वर्ग, जीवन-यापक न्यूनतम वेतन, पे-लेवल का संरचनात्मक सुधार, और पेंशन में आवृत्त समायोजन शामिल है। नेताओं, संगठनों और संसद में उठाये गए सवाल इस बात की पुष्टि करते हैं कि सरकार इस दिशा में सक्रिय है, लेकिन विलंब जारी है।
अगर ToR जल्दी मंजूर हो जाता है, और अनुमानित फिटमेंट फैक्टर (2.0–2.5) स्वीकार किया जाता है, तो जनवरी 2026 से न केवल वेतन वृद्धि लागू हो सकती है, बल्कि कर्मचारियों और पेंशनरों को समय पर राहत भी मिल सकती है—नहीं तो यह प्रक्रिया अगले 2–3 वर्षों तक लंबित रह सकती है।
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